वर्ण, स्वर, स्वरों के भेद – हिंदी व्याकरण

इस टॉपिक में क्या क्या है

  • वर्ण की परिभाषा
  • स्वर की परिभाषा,स्वर किसे कहते हैं
  • स्वर के प्रकार,स्वर के भेद

वर्ण की परिभाषा

वर्ण –  वह छोटी से छोटी ध्वनि जिसके टुकड़े न हो सके वर्ण कहलाती है। वर्ण को अक्षर भी कहा जाता है। और अक्षर का अर्थ होता है – अनाशवान । अतः वर्ण को खंड खंड नहीं किया जा सकता है।

  • शब्द निर्माण की लघुतम ईकाई ध्वनि या वर्ण है।

वर्ण के भेद

1. स्वर

2. व्यंजन

3. अयोगवाह

  • हिन्दी वणमाला में 11 स्वर और 33 व्यंजन है।

स्वर की परिभाषा

वे ध्वनियाँ जिनके उच्चारण में वायु बिना किसी अवरोध के बाहर निकलती है, स्वर कहलाते है।

स्वरों के भेद :-

  • उच्चारण समय या मात्रा के आधार पर स्वरों के तीन भेद है।

1. ह्रस्व स्वर :- इन्हे मूल स्वर तथा एकमात्रिक स्वर भी कहते है। इनके उच्चारण में सबसे कम समय लगता है।

इनकी संख्या 4 है  , जैसे – आ, इ, उ, ऋ

2. दीर्घ स्वर :- इनके उच्चारण में ह्रस्व स्वर की अपेक्षा दुगुना समय लगता है अर्थात दो मात्राए लगती है, उसे दीर्घ

स्वर कहते है।

जैसे – आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ

3. प्लुत स्वर :- संस्कृत में प्लुत को एक तीसरा भेद माना जाता है, पर हिन्दी में इसका प्रयोग नहीं होता है।

जैसे – ओ३म, रो३म, भै३या आदि।

  • प्रयत्न के आधार पर जीभ के प्रयत्न के आधार पर तीन भेद है।

1. अग्र स्वर – जिन स्व॒रों के उच्चारण में जीभ का अगला भाग ऊपर नीचे उठता है, अग्र स्वर कहते है

जैसे – इ, ई, ए, ऐ

2. पश्च स्वर – जिन स्वरों के उच्चारण में जीभ का पिछला भाग सामान्य स्थिति से उठता है, पश्च स्वर कहे जाते है

जैसे – ओ, उ, ऊ, ओ, औ तथा ऑ

3. मध्य या केंद्रीय स्वरजिन स्वरों के उच्चारण में जीभ के बीच का हिस्सा उठता है,मध्य या केंद्रीय स्वर कहलाते हैं।

इनकी संख्या 1 है

  • मुखाकृति के आधार पर

1. संवृत – वे स्वर जिनके उच्चारण में मुँह बहुत कम खुलता है।

जैसे – इ, ई, उ, ऊ

2. अर्द्ध संवृत – वे स्वर जिनके उच्चारण में मुख संवृत की अपेक्षा कुछ अधिक खुलता है

जैसे – ए, ओ

3. विवृत – जिन स्वरों के उच्चारण में मुख पूरा खुलता है।

जैसे – आ

4. अर्द्ध विवृत – जिन स्वरों के उच्चारण में मुख आधा खुलता है।

जैसे – आ, ऐ, औ।

  • ओष्ठाकृति के आधार पर

1. वृताकार – जिनके उच्चारण में होठो की आकृति वृत के समान बनती है।

जैसे – उ, ऊ, ओ, औ

2. अवृताकार – इनके उच्चारण में होठो की आकृति अवृताकार होती है।

जैसे – इ, ई, ए, ऐ

3. उदासीन – ‘अ’ स्वर के उच्चारण में होठ उदासीन रहते है।

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